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कविता

जो है सो है

त्रिलोचन


खिले फूलों से ही खिंच कर रमे जो भुवन में
अभावों की छाया पकड़ कर भावांत उन का
दिखाएगी, क्या है ललित रचना, शून्य मन की
यहाँ जो है सो है विवश पद की धूल बन के।

 


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हिंदी समय में त्रिलोचन की रचनाएँ